मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ..
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ ।
आसमान से उँचा कोई नही,
सागर से गहरा कोई नही,
यूँ तो मुझको सभी प्यारे है,
पर आपसे प्यारा कोई नही
ये दोस्ती चिराग है इसे जलाए रखना,
ये दोस्ती गुल है इसे खिलाए रखना,
हम रहे ना रहें इस जहाँ में,
बस हमारी याद दिल मे बसाए रखना..
आप पहलू में जो बैठें तो संभल कर बैठें,
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की।
आपको भूले वो नज़र कहा से लायें,
किसी और को चाहे वो जिगर कहा से लायें,
रह नही सकते आपके बिना,
उफ़ भी ना निकले वो ज़हर कहा से लायें..
हर रोज बहक जाते हैं मेरे कदम,
तेरे पास आने के लिये..
ना जाने कितने फासले तय करने अभी
बाकी है तुमको पाने के लिये..!!!