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अब तो सजाएँ बन चुकी है गुज़रे हुए वक्त की यादे,
ना जाने क्यू मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग..!!

मुस्कुरा जाता हूँ अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुन कर,
तेरे नाम से इतनी मोहब्बत है तो सोच तुझसे कितनी होगी.

तबीयत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में,
हम ऐसे में तेरी यादों की चादर तान लेते हैं..

वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही

वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही,
फिर यू हुआ के दर्द मे शिद्दत ना रही,
अपनी ज़िंदगी मे हो गये मसरूफ़ वो इतना,
की हमको याद करने की फ़ुरसत ना रही..