मोहब्बत की सजा बेमिसाल दी उसने,
उदास रहने की आदत सी डाल दी उसने,
मैंने जब अपना बनाना चाहा उसको,
बातों बातों में बात टाल दी उसने..!!
उठाकर फूल की पत्ती उसने बङी नजाकत से मसल दी, इशारो इशारो मेँ कह दिया की हम दिल का ये हाल करते है..
तेरे लिए तो हूँ मैं बस वक़्त का एक बुलबुला,
जितना जीना था जी लिया, लो अब मैं चला |
तुझे याद करता हूँ तो बढ़ जाती है तकलीफ़ें,
ऐ ज़िन्दगी तू यहीं ठहर, लो अब मैं चला |
पहली ही मुलाकात थी और हम दोनो नाकामयाब..
उनसे ज़ुल्फ़ें न सम्भल सकीं हमसे दिल ना सम्भल सका..!!
कौन कहता है की आसुओं मे वजन नही होता,
एक भी छलक जाता है तो मान हल्का हो जाता है
दुआओ को भी अजीब इश्क है मुझसे…
वो कबूल तक नहीं होती मुझसे जुदा होने के डर से..