कल के नौसखिए सिकंदर हो गए,
हल्की हवा के झोंके बवंडर हो गए,
मै लड़ता रहा उसूलों की पतवार थामें,
मै कतरा ही रहा लोग समन्दर हो गए..!!
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को,
बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं।
पी के रात को हम उनको भूलने लगे,
शराब में ग़म को मिलने लगे,
दारू भी बेवफा निकली यारों,
नशे में तो वो और भी याद आने लगे.
आज फिर उसकी याद ने रुला दिया,
कैसा है ये चेरा जिसने ये सिला दिया,
दो लफ़्ज लिखने का सलीका ना था,
उसके प्यार ने मुझे शायर बना दिया…