रोक दो मेरे जनाज़े को ज़ालिमों,
मुझ में जान आ गयी है,
पीछे मूड के देखो कमीनो
दारू की दुकान आ गयी है…
हर किसी के हाथ मैं बिक जाने को हम तैयार नहीं,
यह मेरा दिल है तेरे शहर का अख़बार नहीं..
ये मत पुछ कि मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ?
बस इतना जान लो कि, बस तुमसे करता हूँ और बेपनाह करता हूँ।
इतनी पीता हूँ कि मदहोश रहता हूँ,
सब कुछ समझता हूँ पर खामोश रहता हूँ,
जो लोग करते हैं मुझे गिराने की कोशिश,
मैं अक्सर उन्ही के साथ रहता हूँ..!!
निकले थे घर से कु्छ सपने लेकर,
क्या पता घर जाना ही एक सपना हो जायेगा..!!
मैंने दरवाज़े पे ताला भी लगा कर देखा लिया,
पर ग़म फिर भी समझ जाते है की मैं घर में हूँ!!