मेरी यादें मेरा चेहरा मेरी बातें रुलायेंगी,
हिज़्र के दौर में, गुज़री मुलाकातें रुलायेंगी,
दिन तो चलो तुम काट भी लोगे फसानों में,
जहाँ तन्हा रहोगे तुम, तुम्हें रातें रुलायेंगी।
यूँ हर पल हमें सताया ना कीजिए
यूँ हमारे दिल को तड़पाया ना कीजिए
क्या पता कल हम हो ना हो इस जहां मे
यूँ नज़रे हमसे चुराया ना कीजिए..!!
हद से बढ़ जाये तालुक तो गम मिलते हैं..
हम इसी वास्ते अब हर शख्स से कम मिलते हँ..!!
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल का,
बस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का..!!
वक़्त नूर को बहनूर कर देता है,
थोड़े से जखम को नासूर कर देता है,
वरना कोन चाहता है तुम जेसे दोस्तो से दूर रहना
वक़्त ही तो इंसान को मजबूर कर देता..!!
दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद,
वक्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं,
मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंज़र
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं..!!