खुदा ने जब तुझे बनाया होगा,
एक सुरूर सा उसके दिल में आया होगा,
सोचा होगा क्या दूँगा तोहफे मे तुझे,
तब जाके उसने मुझे बनाया होगा…
कसूर तो था ही इन निगाहों का,
जो चुपके से दीदार कर बैठा,
हमने तो खामोश रहने की ठानी थी,
पर बेवफा ये ज़ुबान इज़हार कर बैठा..!!
बेवफा कहने से पहले मेरी
रग रग का खून निचोड़ लेना,
कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले
तो बेशक मुझे छोड़ देना।
तेरा ख़याल तेरी आरजू न गयी !
मेरे दिल से तेरी जुस्तजू न गयी !
इश्क में सब कुछ लुटा दिया हँसकर मैंने !
मगर तेरे प्यार की आरजू न गयी....!!
वो शब्द जो कोई बात कह जाए,
एक ग़ज़ल जो वो नया रूप दे जाए,
वो कश्ती जो साहिल तक पहुचाए,
सपनों की नगरी मे कोई अपना मिल जाए !
आदात उनकी कुछ इस तरह हो गयी,
उनकी बेरूख़ी से भी मोहब्बत हो गयी..!!