निगाहो से वो इस दिल में समाएँ,
जब अश्क बहे तो पलकों पर आए,
डर है कहीं वो खो ही ना जाए,
पलकों को अब हम कैसे झुकाए.
वक़्त बेवक़्त को नूर कर देता है.
छोटे से ज़ख़्म को नासूर कर देता है.
कोन चाहता है अपनो से जुदा होना,
लेकिन वक़्त सबको मजबूर कर देता है.
ना जाने आप पर इतना यक़ीन क्यूँ है,
आपका ख्याल भी इतना हसीन क्यूँ है,
सुना है प्यार का दर्द मीठा होता है,
तो फिर आँख से निकला आँसू नमकीन क्यूँ है.
आँखो से लफ्जो का दीदार मत करना,
खामोशी से मुहब्बत का इजहार मत करना,
रह न सको किसी के बिना,
इतना भी किसी से प्यार न करना..!!