तुम्हारे बिन हमें ये जिन्दगी अच्छी नहीं लगती,
सनम तेरी निगाहों की नमी अच्छी नही लगती,
मुझे हासिल हुई दुनियां की दौलत और ये शोहरत,
मिला सब कुछ मगर तेरी कमी अच्छी नहीं लगती..!!
हम वही हैं,बस ज़रा ठिकाना बदल लिया है
तेरे दिल से निकलकर अब ख़ुद में रहते हैं
तेरी उलफत से मुझे इनकार नही,
कौन कहता है के मुझे तुम से प्यार नही,
तुम से वादा है साथ निभाने का,
पर मुझे अपनी साँसों पे ऐतबार नही!
न वो आ सके न हम कभी जा सके,
न दर्द दिल का किसी को सुना सके,
बस बैठे है यादों में उनकी,
न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके !!
फ़िज़ा की महकती शाम हो तुम,
प्यार में छलकता जाम हो तुम,
सीने में छुपाये फिरता हूँ यादें तुम्हारी,
इसलिए मेरी ज़िन्दगी का दूसरा नाम हो तुम!
अब बुझा दो ये सिसकते हुए यादों के चिराग़,
इनसे कब हिज्र की रातों में उजाला होगा।