चलो! थोड़ी मुस्कुराहट बाँटते है,
थोड़ा दुख तकलीफों को डाँटते है,
क्या पता ये साँसे चोर कब तक हैं?
क्या पता ‘जिन्दगी की चरखी’ में ड़ोर कब तक हैं?
बदल दिए है मैने उसूल-ए-ज़िन्दगी,
जो करेगा याद वो रहेगा याद...!!
कोई मिला ही नही जिस को वफ़ा देते,
हर एक़ ने धोखा दिया किस किस को सज़ा देते,
ये हमारा ज़र्फ़ था की हम खामोश रहे,
दास्तान सुनाते तो महफ़िल को रुला देते.
मदहोश हम हरदम रहा करते हैं,
और इल्ज़ाम शराब को दिया करते हैं,
कसूर शराब का नही उनका है यारों,
जिनका चेहरा हम हर जाम में तलाश किया करते हैं.
तेरी दास्ताँ ए हयात को लिखूं किस गजल के नाम से,
तेरी शौखिया भी अजीब है तेरी सादगी भी कमाल है.
मेरी जिंदगी मै खुशियां तेरे बहाने से है,
आधी तुझे सताने से है आधी तुझे मनाने से है।