एक दिन पुछा मुस्कुराहट ने हमसे ,
हर पल हमें क्यूँ बुलाते हो?
हमने कहा हम याद
अपने प्यार को करते हैं,
तुम क्यूँ चले आते हो...!!
डर मुझे भी लगा फांसला देख कर,
पर मैं बढ़ता गया रास्ता देख कर,
खुद ब खुद मेरे नज़दीक आती गई,
मेरी मंज़िल मेरा हौंसला देख कर..!!
अगर तुम न होते तो गज़ल कौन कहेता,
तुम्हरे चहेरे को कमल कौन कहेता,
ये तो करिश्मा है मोहोब्बत का,
वरना पथ्थर को ताज महल कौन कहेता ?
तेरा नाम ही ये दिल रटता है,
ना जाने तुम पे ये दिल क्यू मरता है
नशा है तेरे प्यार का इतना,
कि तेरी ही याद में ये दिन कटता है।
जिस्म का आख़िरी मेहमान बना बैठा हूँ,
एक उम्मीद का उन्वान बना बैठा हूँ,
वो कहाँ है ये हवाओं को भी मालूम है,
मगर एक मैं ही हूँ जो अनजान बना बैठा हूँ..!!
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है,
तो मेरा लहू लेले, यू कहानिया अधूरी न लिखा कर..!!