तुम्हारी हसी कभी कम ना हो,
ये आँखे कभी भी नम ना हो,
तुम को मिले जिन्दगी की हर ख़ुशी
भले इस ख़ुशी में शामिल हम ना हो !!
कोई ना मुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा,
खुद पहचान लेगा जमाना तुझे तू भीड़ में भी अलग चलकर दिखा.....
जो ना कहनी थी बात वो कह गए,
जो किए थे वादे वो मुकर गये,
वो क्या जाने ज़ख़्म कितनी चोट देगा,
ये तो उन्हे तब पता चलेगा,
जब उनका कोई धोका दे जाएगा!
आख़िर और क्या चाहती हैं ये गर्दिश-ए-आयाम,
हम तो अपना घर भूल गये उनकी गली भूल गये!
किसी शायर की आँखों में देखो तो पता चले
तन्हा तन्हा ये दिन, तन्हा तन्हा ये रात है ।
खुद की मोहब्बत फ़ना कौन करेगा,
सभी नेक बन गये तो गुनाह कौन करेगा,
ये खुदा मेरी सनम बेवफा को सलामत रखना,
वरना हमारी मौत की दुआ कौन करेगा