आँधियाँ गम की चलेंगी तो सँवार जाऊँगा,
मैं तो दरिया हूँ समन्दर में उतर जाऊँगा,
मुझको सूली पे चढ़ाने की ज़रूरत क्या है,
मेरे हाथों से कलम छीन लो मर जाऊँगा..
आज बारिश में तुम्हारे संग नहाना है,
सपना यह मेरा कितना सुहाना है,
बारिश के कतरे जो तेरे होठों पे गिरे,
उन कत्रों को अपने होठों से उठना है..
हर वक़्त मेरी खोज में रहती है तेरी याद,
तूने तो मेरे वजूद की तन्हाई भी छीन ली...!
आपकी याद आए तो दिल क्या करे,
याद दिल से ना जाए तो दिल क्या करे,
सोचा था सपनो में मुलाक़ात होगी,
मगर नींद ही ना आए तो हम क्या करें.
हाथ बेशक छूट गया,
लेकिन वजूद उसकी उंगलियो में ही रह गया..।।
Bewafa To Woh Khud Thi,
Par Ilzaam Kisi Aur ko Deti Hai.
Pehle Naam Tha Mera Uske Hothon Par,
Ab Woh Naam Kisi Aur ka Leti Hai.
Kabhi Leti Thi Wada Mujhse Saath Na Chorne Ka,
Ab Yehi Wada Kisi Aur Se Leti Hai.