हमको तो बस तलाश नए रास्तों की है.
हम हैं मुसाफ़िर ऐसे जो मंज़िल से आए हैं.
कभी यूँ भी तो हो
ये बादल ऐसा टूट के बरसे
मेरे दिल की तरह मिलने को
तुम्हारा दिल भी तरसे
तुम निकलो घर से ...
किन लफ़्ज़ों में इतनी कड़वी,
इतनी कसैली बात लिखूं,
शेर की मैं तहज़ीब निभाऊं या अपने हालात लिखूं!!
Main Bhool Jaoon Ab Yehi Munaasib Hai...
Magar Bhulana Bhi Chahoon Toh Kis Trah Bhulaaon...
K Tum Toh Phir Bhi Haqeeqat Ho, Koi Khawab Nahi...
हम है वफ़ा के पुजारी , हरदम वफ़ा करेंगे,
एक जान रह गयी है , इससे भी तुम पर फ़िदा करेंगे.
अल्लाह करे तुमको भी हो चाह किसी की,
फिर मेरी तरह तू भी, राह देखे रहा किसी की..
झूठे इल्जाम, मेरी जान, लगाया ना करो
दिल हैं नाजूक, इसे तुम ऐसे दुखाया ना करो
झूठे इल्जाम मेरी जान लगाया ना करो.......