आशिकों को मोहब्बत के अलावा अगर कुछ काम होता,
तो मैखने जाके हर रोज़ यूँ बदनाम ना होता,
मिल जाती चाहने वाली उससे भी कहीं राह में कोई,
अगर कदमों में नशा और हाथ में जाम ना होता.
दिल मे तमन्नाओं को दबाना सीख लिया,
गम को आँखों मे छुपाना सीख लिया,
मेरे चहरे से कहीं कोई बात ज़ाहिर ना हो,
दबा के होठों को हमने मुस्कुराना सीख लिया…
उसकी आरज़ू मेरी ज़िंदगी का ख्वाब है,
जिसकी मंज़िल तो है मगर रास्ता खराब है,
हसी से मेरे गम का अंदाज़ा ना लगाओ यारों,
इस दिल का हर पन्ना दर्द की किताब है.
खैरात में मिली हुई खुशी मुझे अच्छी नही लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह..
साँसे मेरी, जिन्दगी मेरी और मोहब्बत भी मेरी,
मगर हर चीज मुकम्मल करने के लिए जरुरत तेरी..!!
बेहेते आश्कों की ज़ुबान ऩही होती
लफ़्ज़ों में मोहब्बत बयान ऩही होती
मिले जो प्यार तो क़दर क़रना
क़िस्मत हर किसी पर मेहेरबान ऩही होती