ये गहरी लाल शाम तेरी यादों के समंदर में पिघल रही है रौशनी की कुछ बुँदे पानी में गिरकर चिँगारी सी जल रही है...!
वो लाज का पर्दा जरूरी नहीँ, जरूरी है तो सिर्फ तेरा मुझपे यकीन करना, तेरा हरदम के लिये होकर मेरा तुझमें फ़ना होना