मेरी बफ़ाओ का तुने ये कैसा सिला दिया,!
दामन मेरा छोड़ कर किसको अपना बना लिया,!!
क्या थी तेरी मजबूरी या मेरी थी कोई खता,!
क़्युन अपना बना कर तुने गैरो सा बना दिया,!?
मेरे दिल को तोडा है शीशे कि तरह,!
और तुने सपनो को जला दिया,!!
तुझसे ना थी ये उम्मीदे,!
तुने मोहोब्बत को मेरी पल भर में भुला दिया,,!!
मेरी मोहोब्बत तेरे जिस्म से ना थी,!
मैंने तो मोहोब्बत तेरी रूह से की थी !!
कभी रोया ना था मैं,!
तेरी यादों ने मुझे रुला दिया!!
तुझसे ना थी ये उम्मीदे,!
तुुने मोहोब्बत को मेरी पल भर में भुला दिया !!
जब जाना ही था तो क्यों आए थे,!
मेरी आंखों ने ना जाने कितने ख्वाब सजाए थे!!
मेरे ख्वाबों को तु ने,!
खाक में मिला दिया!!
तुझसे ना थी ये उम्मीदे,!
तुने मोहोब्बत को मेरी पल भर में भुला दिया!!
अब ना होगी मोहॊब्बत किसी से,!
मैने अपना जीवन तुझपे ही लुटा दिया,!!
मै तो था तेरा आशिक पागल,!
तेरी यादो ने मुझे शायर भी बना दिया,!!
तुझसे ना थी ये उम्मीदे,!
तुने मोहोब्बत को मेरी पल भर में भुला दिया !!
*लेखक*
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
जिंदगी के सफ़र में हम बेख़बर हो कर चले थॆ,
कम्बखत राहो में हमे इश्क मिल गया और हम रास्ता भटक गए !!
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
नजरे ये ढ़ूढ़ॆ बस एक तुझको हर पल तेरा इंतजार है,
हुआ मै पागल तेरा दिवाना होने लगा मुझे पहला प्यार है,,
*सम्राट कि कलम से*
मेरी आरज़ू तमन्ना पहली मोहब्बत हो तुम,
तुम्हें चाहते चाहते यु ही मिट जाएंगे हम,,
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
मै मुसाफ़िर सा, तु राहो सा मेरी..
मै हूँ लहरों सा, तु किनारों सा मेरी..
मिल गई नज़रे, नज़रो कि क्या खता..
कैसे समझाऊ, दिल तुझको ये बता..
''तेरी अदाएँ, कातिलाना...
कर गयी है, मुझे दिवाना...
जबसे देखी है, सुरत ये तेरी..
हो गया हूँ, खुद से बेगाना..''
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
मत हार जिंदगी से जिंदगी का भी एक मुकाम होगा,
ख्वाहिशो का समुन्दर आज नहीं तो कल तेरे नाम होगा,,
*सम्राट कि कलम से*