अजब आरज़ू अनोखी तलब है

अजब आरज़ू अनोखी तलब है...

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अजब आरज़ू अनोखी तलब है,
तुझी से तुझ को माँगना चाहता हूँ

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जिनकी झलक मे करार बहुत है

जिनकी झलक मे करार बहुत है,
उसका मिलना दुशवार बहुत है,
जो मेरे हांथों की लकीरों मे नहीं,
उस से हमें प्यार बहुत है..

आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की

आरज़ू होनी चाहिए किसी को याद करने की,
लम्हें तो अपने आप मिल जाते हैं,
कौन पूछता है पिंजरे में बंद परिंदों को,
याद वही आते हैं जो उड़ जाते हैं..!!

कर दे नज़रे करम मुझ पर

कर दे नज़रे करम मुझ पर,
मैं तुझपे ऐतबार कर दूँ,
दीवाना हूँ तेरा ऐसा,
कि दीवानगी की हद को पर कर दूँ,

सपनो की दुनिया में हम खोते गये

सपनो की दुनिया में हम खोते गये,
होश में थे फिर भी मदहोश होते गये,
जाने क्या जादू था उस अजनबी चेहेरे में,
खुद को बहुत रोका फिर भी उसके होते गये..

कोई रास्ता नही दुआ के सिवा

कोई रास्ता नही दुआ के सिवा,
कोई सुनता नही खुदा के सिवा,
मैने भी ज़िंदगी को करीब से देखा है मेरे दोस्त,
मुस्किल मे कोई साथ नही देता आँसू के सिवा..

दिल को दर्द और ज़हन को आराम लिखूंगा

दिल को दर्द और ज़हन को आराम लिखूंगा,
इश्क़ की वसीयत पर सारे अरमान लिखूंगा,
लुटा कर दौलत-ऐ-ज़िन्दगी तुझ पर मैं,
सब कुछ तेरी मोहब्बत के नाम लिखूंगा…