कभी संभले तो कभी बिखर गये,
अब तो खुद में ही सिमट गये हम,
यूँ तो ज़माना ख़रीद ऩही सकता हमें,
मगर प्यार के दो लफ़्ज़ों से बिक गये.
दरिया ने झरने से पूछा
तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या..?
झरने ने बड़ी नम्रता से कहा
बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
छोटा रह कर मीठा ही रहूँ!
रब किसी को किसी पर फ़िदा न करे,
करे तो क़यामत तक जुदा न करे,
ये माना की कोई मरता नहीं जुदाई में,
लेकिन जी भी तो नहीं पाता तन्हाई में।
जब टूटने लगे हौसले तो बस ये याद रखना,
बिना मेहनत के हासिल तख्तो ताज नहीं होते,
ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी,
जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।
मोहब्बत खुद बताती है, कहाँ किसका ठिकाना है,
किसे आँखों में रखना है, किसे दिल में बसाना है..
नाराज न होना कभी यह सोचकर कि काम मेरा और
नाम किसी का हो रहा है?
घी और रुई सदियों से जलते चले आ रहे हैं,
और लोग कहते हैं दिया जल रहा है।
तूने मोहब्बत, मोहब्बत से ज्यादा की थी,
मैंने मोहब्बत तुझसे भी ज्यादा की थी,
अब किसे कहोगे मोहब्बत की इन्तेहाँ,
हमने शुरुआत ही इन्तेहाँ से ज्यादा की थी..!!