दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के,
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़र के.
अब अपना इकतियार है चाहे जहाँ चलें
रहबार से अपनी राह जुड़ा कर चुके हैं हम
आप की याद आती रही रात भर,
चाँदनी दिल दुखती रही रात भर!
लब पे तेरे इक़रार-ए-मोहब्बत शेर ग़ज़ल का लगता है,
शर्म से चेहरा लाल गुलाबी फूल कमल का लगता है.
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के,
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़र के.