2 Line Shayari

आख़िर और क्या चाहती हैं ये गर्दिश-ए-आयाम,
हम तो अपना घर भूल गये उनकी गली भूल गये!

इज़हार-ए-मोहब्बत लफ़्ज़ों में करना ज़रूरी तो नहीं,
आँखों से कहना और दिल से समझना कम तो नहीं..!!

रंगीन वादों से लिपटा हुआ ख्याल ले आना,
ये शाम अबकी मेरा बिछड़ा हुआ यार ले आना..!!

हर एक अदा मस्तानी है ये किसी शायर की रंगीन कहानी है,
हिरनी की तरह ये चलती है शमा की तरह ये जलती है।।

हम वो है जो आंखो में आंखे डाल के सच जान लेते हैं,
तुझसे मुहब्बत है बस इसलिये तेरे झूठ भी सच मान लेते है..!!

उनके होंठों से मेरे हक़ में दुआ निकली है,
जब मर्ज फैल चूका है तो दवा निकली हैl