2 Line Shayari

कागज़ के नोटों से आखिर किस किस को खरीदोगे,
किस्मत परखने के लिए यहाँ आज भी सिक्का ही उछाला जाता है!

मत किया कर अपने दर्द को शायरी में बया
लोग और टूट जाते है हर लफ्ज को अपनी दास्तान समझ कर..

हम भी फूलों की तरह कितने बेबस हैं ,
कभी किस्मत से टूट जाते हैं कभी लोग तोड़ जाते हैं..!!

गुजरे है आज इश्क में हम उस मुकाम से
नफरत सी हो गयी ह मोहब्बत के नाम से

बेशक तु अपने महफिल मे मुझे बदनाम करती है पर तुझे खबर नहीं है,
वोह लोग भी मेरा पैर छूते हैं जिन्हें तु सलाम करती है।

हर किसी के हाथ मैं बिक जाने को हम तैयार नहीं,
यह मेरा दिल है तेरे शहर का अख़बार नहीं..