कभी नीली आसमान पे चलो घूमने चले हम,
कोई अब मिल गया तो ज़मीन पे बरस लें हम..!!
खैरात में मिली हुई खुशी मुझे अच्छी नही लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह..
ना जाने क्यों कोसते हैं लोग बदसूरती को,
बर्बाद करने वाले तो हसीन चेहरे होते हैं।
कोई ना मुमकिन सी बात मुमकिन करके दिखा,
खुद पहचान लेगा जमाना तुझे तू भीड़ में भी अलग चलकर दिखा.....
तेरी दास्ताँ ए हयात को लिखूं किस गजल के नाम से,
तेरी शौखिया भी अजीब है तेरी सादगी भी कमाल है.
जब लफ्ज़ खामोश हो जाते है तब आँखे बात करती है,
पर बड़ा मुश्किल होता है उन सवालो का जवाब देना जब आँखे सवाल करती है...