तिनका हूँ तो क्या हुआ वुजूद है मेरा,
उड़ उड़ के हवा का रुख तो बताता हूँ..
अब तो सजाएँ बन चुकी है गुज़रे हुए वक्त की यादे,
ना जाने क्यू मतलब के लिए मेहरबान होते है लोग..!!
हज़ारो टुकड़े किए उसने मेरे दिल के मगर दोस्त,
वो खुद हे रो पड़ा हर टुकड़े पर मेरा नाम देख कर…
निकले थे घर से कु्छ सपने लेकर,
क्या पता घर जाना ही एक सपना हो जायेगा..!!
प्यार नही रहा है आज कल कही भी बस रहा है तो,
मतलब ले लिए साथ रहना मतलब के लिए साथ चलना..
मै मतलबी नही जो किसी को धोका दू,
बस मुझे समझ पाना हर किसी के बस की बात नही..