ज्यादा ख्वाहिशें नही ऐ ज़िंदगी तुझसे,
बस़ ज़िंदगी का अगला लम्हा पिछले से बेहरतीन हो..!!
कितनी कातिल हैं ये ज़िन्दगी की,
मर जाते हैं किसी पर लोग जीने के खातिर..!!
तुझे सबका ख़याल पर मेरा नहीं,
मुझे बस तेरा ख़याल है और किसी का नहीं..
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर..!!
आज बरसो बाद मिली तो गले लगकर खूब रोई वो,
कभी जिसने कहा था "तेरे जैसे हज़ारो मिलेंगे.."
सुना है तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग,
एक नज़र हमको भी देख लो ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती..!!