2 Line Shayari

ज़िंदगी गुज़री यहा बड़ी नादानी में
घर बनाते रहे हम बहते हुए पानी में..!!

कौन कहता है कि तेरी मोहब्बत में मुझे कुछ ना मिला,
रातों की नींद गई और रोने का वक़्त मिला !!

गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें यूं ही मुसाफिरों की तरह,
यादें वहीं खडी रह जाती हैं रूके रास्तों की तरह..

पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे,
खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले..

शिकवा करने गये थे और इबाबत सी हो गयी,
तुझे भुलने की जिद थी मगर तेरी आदत हो गयी.!

बड़ी मुश्किल से सीखी थी बेईमानी हमने सब बेकार हो गयी,
अभी तो पूरी तरह सीख भी ना पाए थे की सरकारें ईमानदार हो गयी..!!