चेहरे पे चेहरा लगाये बैठे हैं,
आन्सुओ को पलको मे दवाये बैठे हैं,
मै भूल ना पाया उन्हे एक पल भी,
एक वो है जालिम जो हमे भुलाये बैठे हैं,
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
मैंने कुछ इस तरह से खुद को संभाला है,
तुझे भुलाने को दुनिया का भरम पाला है,
अब किसी से मुहब्बत मैं नहीं कर पाता,
इसी सांचे में एक बेवफा ने मुझे ढाला है..
कागज की कश्ती से पार जाने की ना सोच,
उड़ते हुए तूफानों को हाथ लगाने की ना सोच,
ये मोहब्बत बड़ी बेदर्द है इससे खेल ना कर,
मुनासिब हो जहाँ तक दिल बचाने की सोच।
एक दिन जब मेरी साँस थम जाएगी
मत सोचना चाहत कम हो जाएगी
फ़र्क सिर्फ़ इतना होगा
आज हम आपको याद करते हैं
कल मेरी याद आपको रुलाएगी!
फ़र्ज़ था जो मेरा निभा दिया मैंने,
उसने माँगा जो वो सब दे दिया मैंने,
वो सुनके गैरों की बातें बेवफ़ा हो गयी,
समझ के ख्वाब उसको आखिर भुला दिया मैंने..
झूठी मोहब्बत वफा के वादे साथ निभाने की कस्मे,
कितना कुछ करते है लोग सिर्फ वक्त गुजारने के लिए..