आग दिल मे लगी जब वो खफा हुए,
महसूस हुआ तब जब वो जुदा हुए,
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो,
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए..
आपकी जुदाई ने हमें शायरी सीखा दी,
जुदाई के गम ने हमें मंज़िल भुला दी,
चाहते तो नहीं थे आपसे जुदा होना पर
क्या करें अगर हमें अपनो ने ही पीठ दिखा दी..!!
जब वफा की बात आये तो,
हमने दिल निकालकर हथेली पर रख दिया,
वो कहने लगे कोई और बात करो,
ऐसे खिलोनो से हम रोज़ खेलते हैं.
आपकी याद ना आए तो हम बेवफा,
आप बुलाओ और ना आए तो हम बेवफा,
हमे मारने के लिए खंजर की ज़रूरत नही,
एक बार नज़र फेर लो ना मार जाए तो हम बेवफा..!!
आज हम उन्हे बेवफा बता कर आए है,
उनके खतों को पानी में बहाकर आए है,
कोई निकल कर पढ़ ना ले उन्हे,
इसलिए पानी में भी आग लगाके आए है..!!
कोई मिला ही नही जिस को वफ़ा देते,
हर एक़ ने धोखा दिया किस किस को सज़ा देते,
ये हमारा ज़र्फ़ था की हम खामोश रहे,
दास्तान सुनाते तो महफ़िल को रुला देते.