आज फिर उसकी याद ने रुला दिया,
कैसा है ये चेरा जिसने ये सिला दिया,
दो लफ़्ज लिखने का सलीका ना था,
उसके प्यार ने मुझे शायर बना दिया…
खुद की मोहब्बत फ़ना कौन करेगा,
सभी नेक बन गये तो गुनाह कौन करेगा,
ये खुदा मेरी सनम बेवफा को सलामत रखना,
वरना हमारी मौत की दुआ कौन करेगा
मत रख हमसे वफ़ा की उमीद यह दोस्त,
हमने हरदम बेवफ़ाई पाई है,
मत ढूँढ मेरे जिस्म पे ज़ख़्म के निशान,
हमने हरदम दिल पे चोट खाई है
चाहने वालो को नही मिलते चाहने वाले.!
हमने हर दगाबाज़ के साथ सनम देखा है..!!
नाकाम रही मोहबत मेरी तो किस से करू शिकायत में,
ज़ख़्म है जो दिल पे वो मेरे यार की इनायत है, बेवफा है वो यार मेरा जिसकी चाहत मेरी इबादत है,
कर के बेवफ़ाई वो कहता है यह हम हुसनवालो की आदत है..!!
कभी किसी से ज़िकरे जुदाई मत करना,
इस दोस्त से कभी रुसवाई मत करना,
जब दिल उठ जाए हमारी दोस्ती से तो बता देना,
बिना बताए बेवफ़ाई मत करना!!!