नफ़रत तुम कभी ना करना हमसे
हम यह सह नही पाएँगे,
एक बार कह देना हमसे ऐतबार नही
तेरी दुनिया से हस कर चले जाएँगे..!!
जाने लगे तेरे शहर से तो तुझे अलविदा भी ना कह सके.
तेरी सादगी इतनी हसीन थी की तुझे बेवफा भी ना कह सके.
खुशी मिली तो हंस ना सके और ग़म मिला तो रो ना सके.
दिल तोड़ कर हमारा तुमको राहत ना मिलेगी,
हमारे जैसी तुमको चाहत भी ना मिलेगी,
यूँ इतनी बेरूख़ी ना दिखलाए,
हम अगर रूठ गये तो हमारी आहत भी ना मिलेगी.
हमें भी प्यार करने का ख्याल आया,
जब भी आया खुद को तन्हा और अकेला पाया,
ढूँढते रहे इस दुनिया मे हमसफर,
लेकिन किसी को मजबूर तो किसी को बेवफा पाया.
कभी उसने भी हमें चाहत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे ज़िक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था.
वो सिलसिले वो शौक वो ग़ुरबत ना रही,
फिर यू हुआ के दर्द मे शिद्दत ना रही,
अपनी ज़िंदगी मे हो गये मसरूफ़ वो इतना,
की हमको याद करने की फ़ुरसत ना रही..