ज़िंदगी है नादान इसलिए चुप हूँ, दर्द ही दर्द सुबह शाम इसलिए चुप हूँ, कह दू ज़माने से दास्तानं अपनी, उसमे आ गया तेरा नाम इसलिए चुप हूँ..!!