इस मोहब्बत की किताब के,
बस दो ही सबक याद हुए,
कुछ तुम जैसे आबाद हुए,
कुछ हम जैसे बरबाद हुए।
लोग कहते है हर दर्द की एक हद होती है...
शायद उन्होंने मेरा हदों से गुजरना नहीं देखा...
दर्द की भी अपनी ही एक अदा है...
वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है.....
ख्वाब हमारे टूटे तो हालत कुछ ऐसी थी,
आँखे पल पल रोती थीं, किस्मत हँसती रहती थी..
हमें ये मोहब्बत किस मोड़ पे ले आई,
दिल में दर्द है और ज़माने में रुसवाई,
कटता है हर एक पल सौ बरस के बराबर,
अब मार ही डालेगी मुझे तेरी जुदाई।
मेरे ख्वाबों का अख्ज है तू,
मेरी रूह का ज़ख्म है तू,
कभी मुस्कान हुआ करती थी मैं,
आज मेरी हर दर्द भरी नज़्म है तू ।।