जब भी उनकी गली से गुजरता हूँ,
मेरी आँखे एक दस्तक देती है,
दुख ये नही, वो दरवाजा बंद कर देते है,
खुशी ये है, वो मुझे अब भी पहचान लेते है!
सिर्फ वक्त ही गुजारना हो तो किसी और को आजमा लेना
हम तो चाहत और दोस्ती दोनों इबादत की तरह करते है
कोन कहता है रूह की कोई खाविश नहीं,
जब साँसे थी तब कोई आज़माइश नहीं,
टूटा है अरमान उन आवाज़ों के
जिनके नसीब मे जीने की कोई नुमाइश ही नही…
फिरते रहते हो तुम जमाने की तलाश में, बस हमारे लिये ही तुम्हें वक्त नहीं मिलता!
वो इस अंदाज़ से बैठे हे मेरी लाश के पास
जैसे रोते हुए को मना रहा हे कोई
की पलट के ना अजाएँ सांस नबज़ो मे
इतने हसीन हाथो से मयत सज़ा रहा हे कोई
बिखरे अरमानों के मोती हम पिरो न सके
तेरे याद में सारी रात हम सो न सके,
भीग न जाये आँसुओं में तस्वीर तेरी
बस यही सोच कर हम रात भर रो न सके.