ये कफ़न, ये कब्र, ये जनाज़े
सब रस्म ऐ दुनिया है दोस्त
मर तो इन्सान तब ही जाता है
जब याद करने वाला कोई ना हो
कभी दिल तो कभी शम्मा जला के रोया,
तेरी याद को दिल से लगा के रोया,
रात की आगोश में जब सो गई सारी दुनिया,
ए सनम चाँद को तेरी तस्वीर बना के रोया.!
तारों मे अकेला चाँद जगमगाता है
मुश्किलों मे अकेला इंसान डगमगाता है,
कांटो से घबराना मत मेरे दोस्त,
क्योंकि कांटो मे ही अकेला गुलाब मुस्कुराता है
अभी उनकी मोहब्बत के कुछ निशान बाकी है,
नाम तो लब पर हैं पर जान बाकी हैं,
क्या हुआ अगर वो देख कर अपना मुंह फेर लेते है,
ये तसल्ली तो हैं की उनमे हमारी पहचान बाकी हैं!
Ya khuda apni adalat me meri bhi jamanat rakhna,
Me rahu ya na rahu meri jaan ko salamat rakhna..!!
ना जाने क्यूँ हमे आँसू बहाना नही आता.
ना जाने क्यूँ हाल-ए-दिल बताना नही आता.
क्यूँ साथी बिछड़ जाते हैं हमेशा हमसे,
शायद हमे ही साथ निभाना नही आता.