Dard Shayari

तुझे गुस्सा दिलाना एक साजिश है मेरी

तुझे गुस्सा दिलाना एक साजिश है मेरी,
तेरा रूठ कर मुझपर यूॅ हक जताना अच्छा लगता हैं..!!

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है

उल्फत का अक्सर यही दस्तूर होता है!
जिसे चाहो वही अपने से दूर होता है!
दिल टूटकर बिखरता है इस कदर!
जैसे कोई कांच का खिलौना चूर-चूर होता है!

उनकी मोहब्बत का अभी निशान बाकी हैं

उनकी मोहब्बत का अभी निशान बाकी हैं,
नाम लब पर हैं मगर जान अभी बाकी हैं,
क्या हुआ अगर देख कर मूंह फेर लेते हैं वो..
तसल्ली हैं कि अभी तक शक्ल कि पहचान बाकी हैं!

ख्वाब ख्याल मोहब्बत हक़ीक़त गम और तन्हाई

ख्वाब ख्याल, मोहब्बत, हक़ीक़त, गम और तन्हाई,
ज़रा सी उम्र मेरी किस-किस के साथ गुज़र गयी !!!

न वो आ सके न हम कभी जा सके

न वो आ सके न हम कभी जा सके,
न दर्द दिल का किसी को सुना सके,
बस बैठे है यादों में उनकी,
न उन्होंने याद किया और न हम उनको भुला सके !!

मिलना इतिफाक था बिछड़ना नसीब था

मिलना इतिफाक था बिछड़ना नसीब था,
वो इतना दूर चला गया जितना क़रीब था,
बस्ती क सारे लोग आतिश परस्त थे,
जलता रहा मेरा घर ओर समंदर क़रीब था!