एक तेरी खातिर परेशाँ हूँ मैं
टूटे दिलों की जुबाँ हूँ मैं
तूने ठुकराया जिसको अपनाकर
उसी दीवाने का गुमां हूँ मैं
एक अजीब सा मंज़र नज़र आता है
हर एक आँसू समंदर नज़र आता है
कहा रखूं मैं शीशे सा दिल अपना
हर किसी के हाथ मैं पत्थार नज़र आता है
दिल से रोए मगर होंठो से मुस्कुरा बैठे,
यूँ ही हम किसी से वफ़ा निभा बैठे,
वो हमे एक लम्हा न दे पाए अपने प्यार का,
और हम उनके लिये ज़िंदगी लुटा बैठे
महफ़िल मैं हँसना मेरा मिज़ाज़ बन गया,
तन्हाई मैं रोना एक राज़ बन गया,
दिल के दर्द को चेहरे से ज़ाहिर ना होने दिया,
यही मेरे जीने का अंदाज़ बन गया.
प्यार करके जतायें ये ज़रूरी तो ऩही
याद करके बतायें ये ज़रूरी तो ऩही
रोने वाला तो दिल में भी रो लेता है,
आँखों से आसु आए ये ज़रूरी तो ऩही
Aagosh-e-sitam mein hi chupa le koi,
Tanha hu tadpne se bacha le koi,
Sukhi hain badi der se palko ki zuban,
Bas aaj to ji bhar ke rula le koi..