राह संघर्ष की जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है,
जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है..!!
जब मुल्ला को मस्जिद में राम नजर आए,
जब पंडित को मंदिर में रहमान नजर आए,
सुरत ही बदल जाए इस दुनिया की गर
इंसान को इंसान में इंसान नजर आए..!!
एक पहचान हज़ारो दोस्त बना देती हैं,
एक मुस्कान हज़ारो गम भुला देती हैं,
ज़िंदगी के सफ़र मे संभाल कर चलना,
एक ग़लती हज़ारो सपने जला कर राख बना देती है…
जीत किसके लिए, हार किसके लिए,
ज़िंदगी भर ये तकरार किसके लिए,
जो भी आया है वो जायेगा एक दिन,
फिर ये इतना अहंकार किसके लिए..!!
कल के नौसखिए सिकंदर हो गए,
हल्की हवा के झोंके बवंडर हो गए,
मै लड़ता रहा उसूलों की पतवार थामें,
मै कतरा ही रहा लोग समन्दर हो गए..!!
चलो! थोड़ी मुस्कुराहट बाँटते है,
थोड़ा दुख तकलीफों को डाँटते है,
क्या पता ये साँसे चोर कब तक हैं?
क्या पता ‘जिन्दगी की चरखी’ में ड़ोर कब तक हैं?