हर शाम कह जाती है एक कहानी
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन
मंजिल रह जाती है वही पुरानी
लम्हों की खुली किताब है ज़िन्दगी
ख्यालों और सांसों का हिसाब है ज़िन्दगी
कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी
इन्ही सवालों का जवाब है ज़िन्दगी..
चुपके से आकर मेरे कान मे,
एक तितली कह गई अपनी ज़ुबान मे…
उड़ना पड़ेगा तुमको भी,
मेरी तरह इस तूफान मे…
हमें क्या पता था जिंदगी
इतनी अनमोल है,
कफन ओढ़ के देखा तो
नफरत करनेवाले भी रो रहे थे !
चाहिए मुझे वही सुनहरी घूप
चाहिए खुली हवा
हवा में घुली नमी से भीगना है
कब तलक पलकों की कैद में रखोगे मुझे