ये कैसी बेरुखी सी पैग़ाम है,
दर्द है सीने में और मरहूम भी नही,
ऐ नूर पीर पाक मेरे हुजूर ,
हज़रते सुजीत दिदार को तरस रहे है।
ये कैसी बेरुखी सी पैग़ाम है,
दर्द है सीने में और मरहूम भी नही,
ऐ नूर पीर पाक मेरे हुजूर ,
हज़रते सुजीत दिदार को तरस रहे है।
तुझको सोचना फिर मेरा मुस्कुराना
जनाब ये और कुछ नहीं
बस आप से हुई मोहब्बत का असर है।
तेरी खिलखिलाहटों को मैंने अपनी दुनियाँ बना लिया,
तू जो एक बार हँस दे तो मैं अपने सारे ग़म भूल जाऊँ,
सुनो ज़रा ऐ चाहने वालो सुजीत के पागल है वो लोग,
जो बेवजह उन्हें आशिक बेवफ़ा कहते है !
जिंदगी बाद में पूरा हो चुका हूँ पहले तू समझ नहीं आई
पहले आस तोड चुका हूँ तुम बिछड के अब आई
Hum chahte hain ishq k anjam tak chlna,
Gar ishk khata hai to ye gunah tak chlna,
Kya saja milti hai mujhe, ye mukkadar ki baat hai,
Hume manjoor hogi mahbooba ki bahon marna