Mujhko phir wahi suhana nazara mil gaya,
Nazron ko jo deedar tumhara mil gaya,
Aur kisi cheez ki tamanna kyun karu,
Jab mujhe teri baahon mein sahara mil gaya.
खवाहिसे तो आज भी चाहती है बगावत करना ।
मगर सिख लिया है मैने।
हर बात को सिने मे दफ़न करना ।
मिलोगे हमसे तो कायल हो जाओगे..
दूर से देखने में हम जरा मगरूर दिखते हैं..
Duaye ishq mein manga hein tumhe
Meri subah meri sham
mera aagaz mera aniaam ho tum
मेरी शराफत को तुम बुज़दिली का नाम न दो ,.,.,
दबे न जब तक घोडा ,बन्दूक भी खिलौना ही होती है ...
जब कभी टूटकर बिखरो तो बताना हमें,
हम तुम्हें रेत के जर्रो से भी चुन सकते हैं..