दिल को दर्द और ज़हन को आराम लिखूंगा,
इश्क़ की वसीयत पर सारे अरमान लिखूंगा,
लुटा कर दौलत-ऐ-ज़िन्दगी तुझ पर मैं,
सब कुछ तेरी मोहब्बत के नाम लिखूंगा…
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाब,
नजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे..!!
इश्क क्या चीज होती है यह पूछिये परवाने से,
जिंदगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद।
फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ इश्क मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है।
वो मुझ तक आने की राह चाहता है,
लेकिन मेरी मोहब्बत का गवाह चाहता है,
खुद आते जाते मौसमों की तरह है,
और मेरे इश्क़ की इन्तहा चाहता है।
इश्क है वही जो हो एक तरफा,
इजहार-ए-इश्क तो ख्वाहिश बन जाती है,
है अगर इश्क तो आँखों में दिखाओ,
जुबां खोलने से ये नुमाइश बन जाती है।