प्यार ने ये कैसा तोहफा दे दिया,
मुझको ग़मों ने पत्थर बना दिया,
तेरी यादों में ही कट गयी ये उम्र,
कहता रहा तुझे कब का भुला दिया।
कफ़न की ख़ामोशी को शमसान क्या जाने,
महकते हुए चमन को वीरान क्या जाने,
क्यों बरसती है ये बदनसीब आखें,
इन आंसुओ की कीमत रेगिस्तान क्या जाने.
पलकों मे कैद कुछ सपनें है,
कुछ अपने है और कुछ बेगाने है,
न जाने क्या कशिश है इन ख़्यालों मे ..
कुछ लोग दूर् होकर भी कितने अपने है।
खामोशी और तन्हाई हमें प्यारी हो गई है,
आजकल रातों से यारी हो गई है,
सारी सारी रात तुम्हें याद करते हैं,
शायद तुम्हें याद करने की बीमारी हो गई है..!!
बेताब तमन्नाओ की कसक रहने दो!
मंजिल को पाने की कसक रहने दो!
आप चाहे रहो नज़रों से दूर!
पर मेरी आँखों में अपनी एक झलक रहने दो!
उसकी प्यारी मुस्कान होश उड़ा देती हैं,
उसकी आँखें हमें दुनिया भुला देती हैं,
आएगी आज भी वो सपने मैं यारो,
बस यही उम्मीद हमें रोज़ सुला देती हैं...