किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है?
जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है?
कितने खायें है धोखे इन राहों में!
फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
सुकून अपने दिल का मैने खो दिया,
खुद को तन्हाई के समंदर मे डुबो दिया,
जो थी मेरे कभी मुस्कराने की वजह,
आज उसकी कमी ने मेरी पलको को भिगो दिया.
गीले काग़ज़ की तरह है ज़िंदगी हमारी,
कोई लिखता भी नही कोई जलता भी नही,
इस कदर अकेले हो गये है हम आजकल,
कोई सताता भी नही कोई मनाता भी नही.
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे,
हर ख्वाब मे बुलाया है तुझे,
क्यू न करे याद तुझ को
जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे.
उदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहीं,
तेरे दिल में हूँ पर तेरे पास नहीं,
झूठ कहूँ तो सब कुछ है मेरे पास ,
और सच कहूँ तो एक तेरे सिवा कुछ भी ख़ास नहीं.
आपकी याद आए तो दिल क्या करे,
याद दिल से ना जाए तो दिल क्या करे,
सोचा था सपनो में मुलाक़ात होगी,
मगर नींद ही ना आए तो हम क्या करें.