Tujha dolyachi bhasha,
Dakhivate mala disha...
Dharavayas harkat nahi,
Tu milnyachi asha..
लेहर आती है, किनारे से पलट जाती है..
याद आती है, दिल में सिमट जाती है..
दोनो में फरक सिर्फ़ इतना है,
लेहर बेवक़्त आती है..
और याद हर वक़्त आती है..
बहुत मुश्किल से करता हू
तेरी यादो का कारोबार
मुनफा कम है
पर गुज़रा हो ही जाता है
अरमान था तेरे साथ जिंदगी बिताने का,
शिकवा है खुद के खामोश रह जाने का,
दीवानगी इस से बढ़कर और क्या होगी,
आज भी इंतजार है तेरे आने का..
Main Bhool Jaoon Ab Yehi Munaasib Hai...
Magar Bhulana Bhi Chahoon Toh Kis Trah Bhulaaon...
K Tum Toh Phir Bhi Haqeeqat Ho, Koi Khawab Nahi...
शिकायते बयां करना इसलिए मुश्किल होता है की
जिसे हम सुनना चाहते हैं
वो हमे सुनकर भी बेखबर बना रहता हैं ....!!