मां तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है,
दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है मां की हर दुआ कबूल है,
मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है,
मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है!
मंज़िल दूर और सफ़र बहुत है,
छोटी सी जिन्दगी की फिकर बहुत है
मार डालती ये दुनिया कब की हमें...
लेकिन माँ की दूवाओं में असर बहुत है..!!
ये खुदा तूने गुल को गुलशन मे जगा दी,
पानी को समंदर मे जगा दी,
तू उसे जन्नत मे जगा देना,
जिसने मुझे नो महीने अपने पेट मे जगा दी
माँ मुझको लोरी सुना दो,
अपनी गोद में मुझे सुला लो !
वही चन्दा मामा वाली,
सात खिलौनों वाली लोरी
फिर से सुना दो!