नाराज न होना कभी यह सोचकर कि काम मेरा और
नाम किसी का हो रहा है?
घी और रुई सदियों से जलते चले आ रहे हैं,
और लोग कहते हैं दिया जल रहा है।
जिँदगी ऐसी ना जियो..
कि लोग 'फरियाद' करे..
बल्की ऐसी जियो..
कि लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे!
देखना है क्या क्या गुल खिलाता है जूनून,
आज गुलशन कि तरफ है दीवाने का रुख।
ग़लती नीम की नहीं
कि वो कड़वा है‼
ख़ुदगर्ज़ी जीभ की है
जिसे मीठा पसंद है
तेरे जाने से कुछ नही बदला,
बस पहले जहां दिल होता था,
अब वहां दर्द होता है
गुँथता हूँ हर बार लफ़्ज़ों को नरमी से लेकिन जाने कैसे
मेरी बात नुकीली हो जाती है