मै शेर तु शायरी बन जा,
मै कलम तो रोशनाई बन जा,
हम जुदा ना हो कभी,
मै गद्दा तु रजाई बन जा,
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar
जिनकी झलक मे करार बहुत है,
उसका मिलना दुशवार बहुत है,
जो मेरे हांथों की लकीरों मे नहीं,
उस से हमें प्यार बहुत है..
वो मिल जाते हैं कहानी बनकर;
दिल में बस जाते हैं निशानी बनकर;
जिन्हें हम रखते हैं आँखों में;
जाने वो क्यों निकल जाते हैं पानी बनकर
मेरी किसमत के हीरों का तुम इक ताज बन जाओ,
कल की बात छोडो तुम मेरा आज बन जाओ,
मै तो रोज करता हू मोहब्बत डूब कर तुम से,
मेरी इक बात मानो तुम मेरे हमराज़ बन जाओ..
दिल चाहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको,
दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को,
कोई एहसास जुदाई का न रह पाये,
इस तरह खुद में मेरी जान छुपा लूँ तुझको,
मिलना है तुम से खोने से पहले,
कहना है तुम से रूठने से पहले,
रूठना है तुम से जाने से पहले,
और जीना है तुम्हारे साथ मरने से पहले.