हमें पता है बेवफा नहीं हो तुम मगर वफाएं निभाना भी नहीं आया तुम्हें
हां, इश्क करते हो तुम मगर जताना नहीं आया तुम्हें !
है कोई यहाँ....
जो मे दिल की सदा सुन ले
मेरे जज्बातों को समझ ले
मेरे अनकहें अल्फ़ाज़ पढ ले
मेरे खामोश सी जुबां सुन ले
है कोई यहाँं....
चीनू गिरि
जब पता है कि बेवफा नहीं है हम
तो यूं बेख्याली में इल्जाम क्यों लगाना
माना इश्क जताना नहीं आया हमें
तो इसे समझना भी नहीं आया तुम्हें !
मेरे बस मे नहीं अब तुझे भूल जाना,
मेरी किस्मत मे लिखा रातों मे जगाना
इश्क के समुंद्र मे डूबे और डूबते चले गये
डूब जाने दो मुझे अब कोई ना निकलना
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जिंदगी के सफ़र में हम बेख़बर हो कर चले थॆ,
कम्बखत राहो में हमे इश्क मिल गया और हम रास्ता भटक गए !!
*सम्राट कि कलम से*
Samrat Shubham Ahirwar