इश्क में इसलिए भी धोखा खानें लगें हैं लोग,
दिल की जगह जिस्म को चाहनें लगे हैं लोग..!!
हमारे ऐतबार की हद पुछते हो,
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लो सूनो
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उन्होने दिन में रात कहा
और हम सो गए..!!
दिल तड़पता है इक ज़माने से,
आ भी जाओ किसी बहाने से,
बन गये दोस्त भी मेरे दुश्मन,
इक तुम्हारे क़रीब आने से..!!
सजा देनी हमे भी आती है ओ बेखबर,
पर तू तकलीफ से गुज़रे ये हमे मंजूर नही..!!
तेरा नज़रिया मेरे नज़रिये से अलग था,
शायद तुझे वक्त, गुज़ारना था और मुझे जिन्दगी।
उसकी पलकों से आँसू को चुरा रहे थे हम,
उसके ग़मोको हंसींसे सजा रहे थे हम,
जलाया उसी दिए ने मेरा हाथ,
जिसकी लो को हवासे बचा रहे थे हम.