ताला लगा दिया दिल को,
अब तेरे बिन किसी का अरमान नहीं,
बंद होकर फिर खुल जाए,
ये कोई दुकान नहीं।
अभी उनकी मोहब्बत के कुछ निशान बाकी है,
नाम तो लब्ब पर हैं पर जान बाकी हैं,
क्या हुआ अगर वो देख कर अपना मूह फेर लेते है,
ये तस्सल्ली तो हैं की उन्हे हमारी पहचान बाकी हैं..!!
अब भी ताज़ा है ज़ख़्म सीने में,
बिन तेरे क्या रखा है जीने में,
हम तो ज़िंदा हैं तेरा साथ पाने को,
वरना देर कितनी लगती है ज़हेर पीने में.
हाथ ज़ख़्मी हुए तो कुछ अपनी ही ख़्ता थी...!
लकीरों को मिटाना चाहा किसी को पाने के लिए....!
निगाहों के तक़ाज़े चैन से मरने नहीं देते,
यहाँ मंज़र ही ऐसे हैं कि दिल भरने नहीं देते,
क़लम मैं तो उठा के जाने कब का रख चुका होता,
मगर तुम हो कि क़िस्सा मुख़्तसर करने नहीं देते..!!
अब आँसुओं को आँखों मे सजना होगा,
चिराग़ बुझ गये खुद को जलना होगा,
ना समझना की तुमसे बिछड़के खुश हैं हम,
हमें लोगों की खातिर मुस्कुराना होगा..